Sandip Kapde
छावा चित्रपट सध्या चांगलाच चर्चेत आहे आणि प्रेक्षकांचा मोठा प्रतिसाद मिळवत आहे.
या चित्रपटात छत्रपती संभाजी महाराजांचे जीवन दिग्दर्शक लक्ष्मण उतरेकर यांनी प्रभावीपणे मांडले आहे.
चित्रपटात कवी कलश आणि संभाजी महाराज यांची दृढ मैत्रीही दाखवण्यात आली आहे.
कवी कलश शेवटच्या श्वासापर्यंत संभाजी महाराजांसोबत राहिले होते.
चित्रपटातील कवी कलश यांच्या कविता प्रेक्षकांना भावल्या आणि विशेष गाजल्या.
तुम्ही वाचल्याशिवाय राहणार नाही, अशा छावा चित्रपटातील कवी कलश यांच्या अप्रतिम कविता!
‘सुदामा को कैसा दर्द, जब उसके हम दर्द कृष्ण हों उसके कद’
‘मन के जीते जीत है, मन के हारे हार… हार गए जो बिन लड़े उन पर है धिक्कार, उन पर है धिक्कार जो देखे न सपना… सपनों का अधिकार असल अधिकार है अपना’
‘उनके शब्द इच्छाधारी हथियार हैं, कभी पीर बन जाते हैं, कभी तलवार, सपनों की खातिर कुछ करना है आज हमें, अजर अमर कर देना है स्वराज्य हमें’
‘तू माटी का लाल है कंकड़ या धूल नहीं… तू समय बदलकर रख देगा इतिहास लिखेगा भूल नहीं, तू भोर का पहला तारा है, परिवर्तन का एक नारा है, ये अंधकार कुछ पल का है फिर सब कुछ तुम्हारा है।’
‘जा रहे हैं आपके शत्रुओं की चोट पर लगने… हमने कहा था हम नमक हैं महाराज। नमक नहीं तुम चन्दन हो कवि, तुम तिलक हो हमारे माथे का।’
‘हाथी, घोड़े, तोप, तलवारें… फौज तो तेरी सारी हैं, पर जंजीर में जकड़ा राजा मेरा… अब भी सब पे भारी है।’
‘तलवार तीर हो, मर्द मराठा शूरवीर हो, युद्ध में कौशल गजब दिखावे, रिप दमन कर शंख बजावे, जनमानस के धूप रहोगे, चरम चमकती धूप रहोगे, प्रसन्न रहे माता जगदंबा, ओ छत्रपती ओ सहचर संभा।’