उमटतां दीपावलीची पाऊले...!

उमटतां दीपावलीची पाऊले...!
उमटतां दीपावलीची पाऊले...!sakal

उमटतां दीपावलीची पाऊले। पायांतळी वोतली शुभ्रफुले।

गंधपाकळी आपुलाले। हृदयी उमटो गा।।

पडो मंगलाचे सर्वत्र सडे। भरोनि वाहो सुखाचे घडे।

उघडो इंद्रगुहांची कवाडे। मनोमनी गा।।

अनिष्टाचे होवो हरण। तमोगुणांचे होवो निर्दालण।

किलबिलो घरांगण। आप्तेष्टांचे।।

अहो, फिटली वैऱ्याची रात। पचविला गा प्राणघात।

आता नांदो प्राणीजात। सुखेनैव।।

नष्टता अशुभाची साऊली। येते शुभंकराची चाहुली।

दीपावलीच्या दिव्य पाऊली। ऐकावी जी।।

दीपामाजी प्रकटे दीप। दीपाचिया मिषेचि दीप।

दीपादीपाने येई समीप। दीपावली गा।।

एकल ज्योतीचा सहवासु। उजळोन जाते आरासु।

दुज्या ज्योतीची वात सरसु।। करवावी हो जी।।

नवलक्ष दिव्यांची दिव्यशोभा। क्षितीजापारे अन्य आभा।

आनंदाचा कंद गाभा। उजळली प्राची।।

तोचि तिमिर अंतबिंदू। जेथ उगमे उजेडसिंधू।

आपुलाली ज्योत वंदू। मनोनीत।।

होवो तमाचा समूळ नाश। तुटो विकारांचा पाश।

जैं अरण्यात उजळे पलाश। तैसेचि व्हावे।।

लक्ष दिव्यांनी उजळे नगर। उसळे प्रकाशाचे आगर।

हिंदकळे भरली घागर। अमृताने।।

प्रासादांचे सौध उजळले। आकाशगामी रंग उधळले।

सुखाचे सुगंध दरवळले। दारोदारी।।

पणत्या रांगोळ्या कंदिल। सौभाग्यलेणें सजले निटिल।

दु:खाचे जंजाळ जटिल। फिटले येथ।।

पळत पळतां तमाचे सैन्य। फिटो अनारोग्याचे दैन्य।

होवो जीवित्त्व धन्य धन्य। मानवतेचे।।

जैं दिव्याची काजळी। झटकता उमले प्रकाशकळी।

जैं चंद्रबिंब उतरे जळी। तेथेचि राही।।

तैसे व्हावे अवतरण। आत्यंतिकाचा दिवाळसण।

शिगेसी यावे बरवेपण। दीपोत्सवी गा।।

गावे पर्जन्याचे पवाड। उघडती सृजनाचेनि कवाड।

भूमी रुजवीं कोंब जीवापाड। बहरासि येई।।

आभाळीं संतप्त पूर्ण भानू। मार्तंड तो तापमानु।

लहलहा जाळीतो रानु। जीवित्त्व तेही।।

शीतकाळीचे निरभ्र नभ। चांदण्याचे लटिके लोभ।

शमविती मन:क्षोभ। मंद्र समीर।।

ऐसे ऋतुचक्राचे चालणे। त्यासी ना आरंभ ना संपणे।

सुरेल ऐसे जीवनगाणे। अविरत चाले।।

ऋतुचक्राचिया चाली। जीविते होती वरीखाली।

तयांची खरी रखवाली। करी कवण।।

तडागी वोळंबले चंद्रबिंब। किंवा तिष्ठला दारिचा निंब।

नि:शब्दें जाहला चिंब। दहिवराने।।

एक दीप उंबऱ्यागती। पुढील दारी दुजी पणती।

पणत्या पणत्यांच्या पंगती। भवताल उजळी।।

ऐसे जीवीचे जिवलग। उजळतील सारे जग।

तयाने वाढिली लगबग। माणुसकीची।।

कितीही दाटो काळरात्र। थिजोन जावो भयाने गात्र।

तरीही न ढळो लवमात्र। माणूसपण गा।।

उमटता दीपावलीची पाऊले। मनीमानसी चिंतावे भले।

सौख्याची अनंत पुष्पदले। तुमच्या ठायी।।

ब्रेक घ्या, डोकं चालवा, कोडे सोडवा!

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