
ढिंग टांग''
सुबेदार-ए-लष्कर कोहिनूर-ए-आईएसआई असीम मलिकसाहब, यह खुतूत निहायतही खुफिया जगह से लिख रहा हूं. काल रात्रीपासून फार दुखते आहे! बदनमध्ये अशी जगह नाही की जिथे दर्द नाही. कल की रात…मानो, इस रात की कोई सुबहाही नहीं हो! हिंदोस्तानी फौजने बिना वजहा हमारे मासूम दहशतगर्दों पर हमला बोलकर बहोत सारा मुल्क तसनस कर दिया.
ये सब कैसे हुआ? दुश्मनने इस करतूत को कैसे अंजाम दिया, इसकी मालुमात करके हमें इत्तला करो. शहाबाज शरीफ, वझीरे आजम ए पाकिस्तान.