
ढिंग टांग
बेटा : (नेहमीच्या खेळकर मूडमध्येच एण्ट्री घेत) ढॅणटढॅऽऽण…मम्मा, आयम बॅक!
मम्मामॅडम : (पडेल सुरात) हं!
बेटा : (खुशीखुशात) यह लो, मूंह मीठा करो!!
मम्मामॅडम : (तोंड फिरवून) नको मला!!
बेटा : (खांदे उडवत) मना मत करो! मूंह मीठा करो, दिल्लीवालों की जिंदगी में यह एक स्वर्णिम दिवस है!! भ्रष्टाचारीओं का तख्त पलट गया है, यह दिल्लीवालों की जीत है, आम आदमी की जीत है!!
मम्मामॅडम : (चकित होत्साती) बरं वाटतंय ना? तापबिप नाही ना आला?